सोमवार, 30 मार्च 2009

कसम की किस्म

हमारे देश में कसमो का बड़ा महत्व है । लोग माँ - बाप और भगवन की कसमे खाकर अपनी सच्चाई का प्रमाण देते हैं। माना जाता है की कसम खाकर बोलने वाला सच ही कहता है। वीरेन डंगवाल की एक कविता पढ़ी , कुछ खास किस्म की कसमो का जिक्र है, आप भी पढिये
rani मुखर्जी और ब्लैक की कसम
सानिया मिर्जा के हुनर की कसम
चुनाव आयोग के धैर्य की कसम
सिब्ते रजी के काले चश्मे की कसम
मैं हूँ बहुत आश्वस्त थोड़ा सा पस्त
पुरे रंगीन मुगल आजम की कसम
बूटा सिंह की बुतों की कसम
मिलावटी तेल के खेल की कसम
आसाराम बापू के हरिओम की कसम
वो नमक कंडोम की कसम
मैं हूँ मास्टर ब्लास्टर पंकज चतुर्वेदी का फैन

6 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

रोचक सफ़र है विभिन्न कसमों का .......डंगवाल जी ने सही उपयोग किया है इनका
शुक्रिया अओका भी इन को सब तक पहुंचाने का

शोभा ने कहा…

बहुत सुन्दर लिखा है।

hem pandey ने कहा…

और हमें 'कसम' की कसम
पोस्ट लगी अच्छी भैन.

राज भाटिय़ा ने कहा…

अरे बाबा बहुत सुंदर सुंदर कसमे दिला दी आप ने तो, लेकिन ना तो मे कसम खाता हूं, ओर ना ही किसी को खाने देता हुं... क्सम से...:)
धन्यवाद

Vinay ने कहा…

भैंस को डंडा दिखाके हाँकते रहिए, वाह्!


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तख़लीक़-ए-नज़र

Shikha .. ( शिखा... ) ने कहा…

अलग अंदाज़ है, और बहुत ही प्यारा अंदाज़ है! सच में कसम से..