कई दिनों से मैं ब्लॉग की दुनिया से गायब रही। दरअसल इन दिनों मैं ेजयपुर गई थी। भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान की तरफ से मुझे सरला अग्रवाल कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार मिला। इस दौरान मैंने जयपुर का भ्रमण भी किया। जयपुर में जो मुझे सबसे खास बात नजर आई वो थी वहांॅ के लोगों का अपनापन। उससे मैं अभिभूत हो गई। हर तरफ वहां मुझे ऐसे लोग मिले जो सेवा को तत्पर हों। अपने राज्य में आये अतिथि का सब ध्यान रखना चाह रहे थे। भले ही वो साहित्य से जुड़े हों या न हों। जब भी मुझे किसी मदद कीजरूरत आयी परेशान होने की आवश्यकता ही नहीं रही। किसी नई जगह का यह अपनापन देख सबसे पहले यह सवाल सामने आया ऐसा हर जगह क्यों नहीं? हालांकि कुछ जगह दिक्कत भी हुई दुकानों में तो टुरिस्टों को लुटने की पूरी तैयारी रहती है।पर लोगों का अपनापन देखकर यह कुछ विशेष नहीं खला। इसके अलावा यह भी खास है कि जयपुर बदल रहा है। बहुत तेजी से। मॉल की संस्कृति में राजस्थान वाली खासियत गुमसुम ही दिखी। पुराने पिंकसिटी में भी पुरानेपन के उपर नये पन को लपेटा जा रहा है। नये पराने जयपुर में काफी अंतर दिखा। जैसे किसी शहर का 20 साल पुराना और आधुनिक रूप एक साथ देख्ा रहे हाें। गली सामने गली और दरवाजे के सामने दरवाजे का सिद्धांत पसंद आया।यह भी एक प्रकार का भूलभुलैया ही है।
14 टिप्पणियां:
पुरुस्कार के लिए बहुत बहुत बधाई. जयपुर यात्रा का विवरण और तस्वीरें अच्छी लगी.
शैली आपको सबसे पहले तो पुरस्कार पाने के लिए लख लख बधाईयां। आपने जो तस्वीरें प्रस्तुत की देखकर अच्छा लगा । एक कल्पना जरूर जागृति की आपने गुलाबी शहर को देखने की। ।
blog par vaapsii ki or puraskar kii badhaayee.
puraskrat kahani padhavaane kii kripa karen.
कहानी में कामयाबी के साथ-साथ जयपुर यात्रा को रोचक बनाने व हमसे बांटने के लिए बधाई।
पुरस्कार के लिए बहुत बहुत बधाई.........
पुरूस्कार प्राप्ति की बधाई...आप हमारे जयपुर घूम आयीं...वाह....बहुत अच्छा लगा आप के चित्र और वर्णन पढ़ कर...कुछ और भी चित्र हों तो दिखाईये और बताने को हो तो बताईये ना...
नीरज
'भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान की तरफ से मुझे सरला अग्रवाल कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार मिला।'
बधाई हो ...
पुरुस्कार मिलने के लिए बधाई। चित्र बढ़िया हैं।
घुघूती बासूती
बहुत अच्छा लिखा आपने जयपुर के बारे में .पुरस्कार मिलने की बहुत बधाई चित्र बहुत अच्छे लगे
ख़ूबसूरत चित्र हैं
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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
सरला अग्रवाल कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार मिलने पर आप को बहुत बधाई, आप ने जय पुर के बारे ओर वहा के लोगो के बारे लिखा अच्छा लगा, चित्र भी बहुत ही सुंदर लगे, इन सब के लिये धन्यवाद
जयपुर खूब घुमाया! इनाम की बधाई!
जयपुर यात्रा का विवरण और तस्वीरें अच्छी हैं , पुरस्कार के लिओए बधाई
पुरस्कार प्राप्ति हेतु बधाई...ईश्वर आपको जीवन में और अधिक सफलता प्रदान करे......वैसे आपका सचित्र जयपुर यात्रा वृ्तांत अच्छा लगा.
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