शनिवार, 15 अगस्त 2009

वंदे मातरम



















सभी देशवाशियों को स्वत्रंता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं।


सोमवार, 3 अगस्त 2009

राखी का स्वयंबर

पिछले डेढ़ महीने से इमेजिन पर राखी सावंत का स्वयंवर प्रसारित हो रहा था। राखी की अबतक की जो इमेज है है वो सिर्फ़ एक आइटम गर्ल का नही क्योकि आइटम गर्ल तो कई हैं पर राखी की महिमा ही अलग है आप ख़ुद ही अंदाजा लगा लीजिये की मैं अपने ब्लॉग पर उसकी बात कर रही हूँ और भी बहुत से लोगों ने ब्लॉग पर राखी को याद किया। राखी की इमेज मुहफट लड़की की है। आम भारतीये लड़कियों जैसा राखी ने कवि ब्यवहार नही किया। बरहाल हम बात कर रहें हैं उसके स्वयंवर की। हिन्दी टेलीविजन के इतिहास में स्वयंवर हुआ भी तो राखी का! खैर इससे इमेजिन की इमेज ही ख़राब हुई। स्वयंवर की परम्परा अब लुप्त हो चुकी है। राखी का योगदान इसे पुनर्जीवित करने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। राखी ने एक गलती की । गलती क्या सच कहा जाए तो उसने यहाँ भी अपनी इमाज़ बरकरार रखी स्वयंवर के नियम के हिसाब से राखी को शादी कर लेनी चाहिए थी पर उसने सगाई करके ६ महीने के बाद शादी की घोषणा की है। एक तो स्वयंवर में राखी के टुच्चे ब्यवहार के कारण जनता का दिल टुटा । स्वयंवर में राखी ने कम अश्लीलता नही फैलाई और अब शादी टाल दिया। राखी चुकी राखी है इसलिए यह तो सब को समझ में आगया की ६ महीने बाद सगाई टूटने की ख़बर आएगी। वैसे इमेजिन ने स्वयंवर किसी और लड़की के साथ और भद्रता के साथ स्वयंबर किया होता तो ज्यादा अच्छा होता।

रविवार, 2 अगस्त 2009

दोस्ती




आज फ्रेंडशिप डे था। दोस्ती का दिन। लेकिन क्या हमारे देश में दोस्ती को किसी एक दिन की आवश्यकता है?दोस्ती के लिए किसी एक दिन का चुनाव करना हमारे लिए ठीक नहीं है क्योंकि हमारी संस्कृति में हर दिन दोस्ती का है। होली जैसे त्योहार में दोस्त तो क्या दुश्मन को भी गले लगाने की परंपरा है। भाई बहन के लिए राखी, सच्चाई और बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए दशहरा जैसे त्योहार हैं यहां तब क्या डर कि दोस्ती के लिए एक दिन नहीं निकाला तो दोस्ती खत्म हो जायेगी। वैसे इस सिक्के का एक दूसरा पहलू भी है। आज अच्छे दोस्त और अच्छी दोस्ती बड़ी मुश्किल से मिलते हैं। हमारे यहां भी यह रेयर की श्रेणी में आ गई है। दोस्ती के लिए त्याग जैसी चीज अब बीते जमाने की चीज हो गई है।कभी - कभी दोस्ती के कारण प्राणों को भी संकट में डालना प़ड़ता है। लोग प्रोफेशनल हो गए हैं तो दोस्ती भी कदम से कदम मिला रही है। लेकिन इससे दोस्ती तो हो जाती है निभ भी जाती है पर मन का कोना खाली- खाली रह जाता है। मित्रता के लिए कोई बंधन नहीं होता बस परस्पर विश्वास की जरूरत होती है। लेकिन एक सच्चाई यह है कि बराबरी वालों की ही मित्रता निभती है। गैर बराबरी में हीनता की भावना आ जाती है और मित्रता को लंबे समय तक चलने नहीं देती। खैर उम्मीद करती हु ब्लोगेर्स की दोस्ती कायम रहेगी। हैप्पी फ्रेंडशिप डे .