मंगलवार, 10 फ़रवरी 2009

वैलेंटाइन डे बनाम मदनोत्सव



















वैलेंटाइन डे के आगमन की चर्चा सुनते ही सब तरफ़ का माहौल ही बदल गया है. किसी के चहरे संस्कृति के नाम पर विकृत हो रहे है कोई इसे अच्छा कह रहा है कि आधुनिक काल के हिसाब से ये ठीक है. कोई इसे अभिव्यक्ति कि स्वतंत्र के साथ जोड़ रहा है. ब्लॉग पर भी इन दिनों बसंत कि नही वरण वैलेंटाइन डे कि ही बहार है. और मैं हूँ कि मुझे हर साल कि तरह इस बार भी मदनोत्सव कि याद आ रही है. यही समय है उसे भी मानाने का. उस त्यौहार को कैसे मानते थे वो मैं बताती हूँ. बसंत का मौसम सुहावना होता है आम में मंजर लगना शुरू हो जाता है . कई प्रकार के फूल खिले होते हैं. मदनोत्सव में युवक - युवतियो का परिचय होता था. खुले माहौल में उनकी मुलाकात होती थी. अपनी उम्र के लोगो का अलग - अलग ग्रुप होता था. जिसमे सब घुलते मिलते थे. लड़कियां और लड़के खासतौर से इस दिन के लिए तैयारी करते थे. फूलों से ख़ुद को अपने उपवन को भी सजाते थे. मदनोत्सव मानाने कि परम्परा तो काफी पहले ही समाप्त हो चुकी है . अब अगर वैलेंटाइन डे के नाम पर उसे फ़िर से मनाया जा रहा है तो ग़लत क्या है . बस होना यह चाहिए कि उसे मानाने में भारतीयता कि झलक साफ - साफ दिखे . ऐसा नही कि हम आयातित त्यौहार मन रहे हैं . तो देखते है इस बार कितने ब्लोगर साथी हमारी संस्कृति के हिसाब से वैलेंटाइन डे मानते हैं . हाँ देशी फूलों से ख़ुद को सजाइयेगा .


11 टिप्‍पणियां:

Abhishek Ojha ने कहा…

मदनोत्सव वाला तरीका तो बड़ा सही है :-)

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

देखते है इस बार कितने ब्लोगर साथी हमारी संस्कृति के हिसाब से वैलेंटाइन डे मानते हैं . हाँ देशी फूलों से ख़ुद को सजाइयेगा .

बहुत ख़ूब...

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

स्वामी शुद्धानंद नाथ ने कहा है "प्रेम ही संसार की नींव है ...!"

Atul Sharma ने कहा…

न तो मदनोत्‍सव मनाते हैं और और न ही वैलेंटाइन डे। हम तो कभी कभी बच्‍चों का हैप्‍पी बर्थ डे मना लेते हैं।

Udan Tashtari ने कहा…

बिल्कुल सही..चित्र बड़े मोहक हैं. बधाई.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Aj to or mohak lagee post
badhai

hem pandey ने कहा…

भारतीय वेलेंटाइन डे की झलक देखनी हो तो बस्तर का 'घोटुल' देखिये.

निर्मला कपिला ने कहा…

bahut khoob sunder abhivyakti hai chitron ke madhyam se valentine day ki jhalak achhi lagi

Prem Farukhabadi ने कहा…

BADA MAN MOHAK DRASHY HAIN.

समीर सृज़न ने कहा…

आपने भावनाओ को जो चित्रों द्वारा उकेरा है...वो वाकई लाजबाब है..बधाई...

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

शैली जी , आलेख के चित्र, शैली, विचार और प्रस्तुति रोचक लगी.
-विजय तिवारी ' किसलय '