गुरुवार, 2 अप्रैल 2009

राम तुलसी और हनुमान.











रामनवमी का सम्बन्ध राम से है और उससे भी ज्यादा हनुमान से है। राम की बात याद करते ही कई बातें दिमाग में आने लगती है। जनमानस के राम रामबाण अर्थात अचूक निशाने का प्रतीक है तो राम राज्य अपूर्व ऐश्वर्य और सुख शांति का। राम के समय में जाते ही यह याद कर सुखद आश्चर्य होता है कि राम ने सीता के खोज में सुदूर दक्षिण में जाकर न केवल सीता मुक्त किया बल्कि उस प्रदेश के लोगो को सभ्यता से परिचित कराया। राम के साथ विवाद भी काफी हैं। लेकिन विवादों को हटा कर देखें तो राम के साथ कई खास बात जुड़ी है। अच्छे और बुरे दोनों काम राम का नाम लेकर किया जाता है । सुख और दुख दोनों के समय राम ही याद आते हैं। राम- राम गंदी वस्तु का प्रतीक है तो हे राम आश्चर्य,विस्मय या दुख का तथा सीता राम भक्ति के लिए प्रयुक्त होते हैं। राम ने शील और संस्कार का आदर्श तो प्रस्तुत किया ही था ।





राम इसलिए भी ऐतिहासिक पुरूष हैं क्योंकी उन्होंने ही पहली बार पुरे भारत को जोड़ने की कोशिश की ।उनसे पहले किसी ने इस प्रकार की कोशिश नही की थी । राम के सन्दर्भ में दूसरी बात यह हैं की राम ही ऐसे देवता हैं जिनके भक्त का महत्व उनसे ज्यादा हैं। राम नवमी में पुरे देश में राम से ज्यादा पूजा हनुमान की होती हैं। इस दिन हनुमान मन्दिर में ध्वजा गाड़ने के साथ ही चोला भी बदला जाता हैं मानो जन्म दिन भी राम् का नही हनुमान का ही हो । गांव में रामनवमी के दिन हनुमान मंदिर में चढ़ने वाले रोट का तो सभी बच्चे बेसब्री से इंतजार करते हैं।
राम की चर्चा करते समय तुलसी दास को भुलाया नही जा सकता हैं। राम को जन- जन के पहुचने का काम उन्होंने ही किया। उनका योगदान वाल्मीकि से भी बड़ा हैं। वाल्मीकि के समय में राम जन की चेतना में अपनी पैठ नही बना सके थे । पर तुलसी न केवल लोक मानस में विसरे हुए राम को स्थान दिलाया बल्कि राम के साथ जुड़े विवाद को सुलझान की भी कोशिश की। इसलिए ही तुलसीदास ने वाल्मीकि रामायण के कई प्रसंग नहीं लिये। सीता का धरती में समाना भी नहीं।

6 टिप्‍पणियां:

Vinay ने कहा…

शैली जी बहुत अच्छा लिखा है आपने प्रभु राम के बारे में!

संगीता पुरी ने कहा…

रामनवमी के खास मौके पर इस आलेख के पोस्‍ट किए जाने का शुक्रिया ... बहुत बढिया लिखा।

Udan Tashtari ने कहा…

पर्व विशेष पर बहुत अच्छी पोस्ट. रामनवमी की हार्दिक बधाई!!

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

bahut achcha laga,,,
kai saari chije he jo hame raam ke charitra ke sandarbh me batlaati he, aadhyatmik ramayan me to sita ko jnha raam ki shakti bataya he vahi ye bhi likha he ki raam ne kuchh bhi nahi kiya jo kiya vo seetaji ne hi kiya..vo chahe raavan ka vadh ho yaa raam ka raajyabhishek ho..yaani seetaji ko hi karmpradhaan darshaya gaya he,,kher..prasang itna vistrat he ki jiska koi ant nahi he..
aapko raamnavmi ki badhaai..

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

बहुत अच्छी पोस्ट लगी आपकी....सारी बाते सटीक लिखी आपने....आपको राम-राम...और सबको रामनवमी की शुभकामनाएं....!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अच्छी पोस्ट है.......राम के सुन्दर चित्र हैं.......
राम का चरित्र उतम है......ये कोई अतिशयोक्ति नहीं है