मार्मिक रचना /समझ से परे कि आपकी है किसी पेपर या पत्रिका में छपी या किसी अन्य कवि की है और आपको पसंद आई तो आपने प्रस्तुत कर दी /खैर जो भी हो रचना उत्तम है
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. बहुत ही सार्थक अभिव्यक्ति. मृतात्मा की सोच को व्यक्त करती सचमुच बेचैन करने वाली कविता ऐसी ही सोच मेरे एक शेर में इस तरह आई है: " कुछ तो बाकी था मेरी मिट्टी से रिश्ता मेरा मेरी मिट्टी को तरसती रही मिट्टी मेरी"
6 टिप्पणियां:
मार्मिक रचना /समझ से परे कि आपकी है किसी पेपर या पत्रिका में छपी या किसी अन्य कवि की है और आपको पसंद आई तो आपने प्रस्तुत कर दी /खैर जो भी हो रचना उत्तम है
shrivastava ji yah meri apni rachna hai.pahle ise apne purane blog par v sala tha.
मृतात्मा की सोच .... बहुत भावनापूर्ण रचना .
बहुत बढ़िया प्रयास है लिखती रहिये.
महेंद्र मिश्रा जबलपुर.
09926382551
ज़िंदगी की तल्ख़ सच्चाई से भरी!
bahut achchhi kavita
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा.
बहुत ही सार्थक अभिव्यक्ति.
मृतात्मा की सोच को व्यक्त करती सचमुच बेचैन करने वाली कविता
ऐसी ही सोच मेरे एक शेर में इस तरह आई है:
" कुछ तो बाकी था मेरी मिट्टी से रिश्ता मेरा
मेरी मिट्टी को तरसती रही मिट्टी मेरी"
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