जबलपुर की धरती ने अपने अंक में अनेक प्रतिभाएं समेटी हैं। जबलपुर के ही एक बेटे ने मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में अपना एक मुकाम बनाया और चरित्र अभिनेता के रूप में उसकी पहचान है। मैं बात कर रही हूं मैसी साहब , मुंगेरीलाल यानी रघुवीर यादव की जो अपनी पत्नी रोशनी और बेटे अवीर के साथ दो दिन के लिए जबलपुर आये थे तब मेरी उनसे बातचीत हुई थी। सोचा ब्लागर साथ्ाी क्यों वंचित रहे -
- इतने दिनों के बाद जबलपुर आकर कैसा लगा?
-अपने घर आने पर तो हर किसी को खुशी मिलती है। अपनी जन्मभूमि का प्यार हर किसी को ख्ांीचता है। मैं पहले हमेंशा यहां आया करता था,फिर व्यस्तताओं के कारण गैप होने लगा। अब दो साल से हर बार आ रहा हॅूं। बहुत सुकून मिलता है यहां।
अपने अब तक के सफर के बारे में कुछ बताएं?
मैंने हायर सेकेंड्री तक की प़ढ़ाई जबलपुर से की। मैं अभिनेता बनना चाहता था। मैंने अपनी क्षमताओं को पहचाना। घर से बाहर निकलने में घर और परिवार की ममता आ़ड़े आती है। परिजन अपनी आंखों के सामने ही देखना चाहते हैं। पर मैंने इस प्यार को बेि़ड़यां नहीं बनने दीं। मैं आज भी परिवार से जु़ड़ाव रखता हॅूंं ।बस आगे ब़ढ़ने के लिए घर से दूर गया। मैंने केके नायकर, चंद्रपाल आदि के साथ शुरुआत की। मैंने एनएसडी ज्वाइन किया। इसके बाद भोपाल, दिल्ल्ी और मुंबई मेंतीस साल तक लगातार थियेटर किया।
-किसी को जबलपुर से मुंबई तक का सफर तय करना हो तो रास्ते में क्या दिक्कतें आयेंगी?
मुंबई तक का सफर मुश्किल नहीं है, पर इस सफर को तय करने के लिए अपनी काबलियत की जरूरत होगी। शुरू से ही अपने अंदर एक जुनुन रखना होगा और बिना थके अपने रास्ते पर ब़ढ़ना होगा, तब सफलता भी दूर नहीं रहेगी। इस क्षेत्र में जाने वालों को प़ढ़ाई के साथ साथ एनएसडी या एफडीआई आदि करना चाहिए। थियेटर भी करना चाहिए पर ऐसा नहीं कि एक दो प्ले किया और समझने लगे कि मैंने महारथ हासिल कर ली।
- जबलपुर प्राकृतिक सौन्दर्य से आप्लावित है फिर भी यहां फिल्मों की शूटिंग क्यों नहीं होती?
-यह बात तो सही है कि यहां प्रकृति ने अपना प्यार जी भरकर लुटाया है। राजकपूर ने अपनी एक फिल्म की शूटिंंग यहां की थी। कुछ समय पहले शाहरूख ने भी यहां शूटिंग की है, लेकिन मूल दिक्कत शहर के पिछ़ड़ेपन को लेकर आती है। एक तो यह मुंबई से दूर है, दूसरी फिल्म यूनिट के रुकने के लिए सुविध्ााएं भी नहीं हैं। एक कारण यह भी है कि निर्माताओं को विदेश में शूटिंग करने की आदत लग गई है।
जबलपुर के विकास से कितने संतुष्ट हैं आप?
विकास की तो आप बात मत कीजिए। मैंने इतना `स्लो" कोई शहर नहीं देखा है। जब दूसरे शहरों को विकसित होते देखता हंूॅ तो मुझे लगता है मेरा शहर कब ऐसा होगा? कुर्सी पर बैठे लोग कर क्या रहे हैं इसे आगे क्यों नहीं ब़ढ़ने दे रहे हैं, यह समझ से परे है। मुझे इस मिट्टी से प्यार है, मैं इसी मिट्टी में मरना चाहता हॅूं।
अभिनय में संतुष्टि कहां है?
-चरित्र रोल करने से एक प्रकार की संतुष्टि मिलती है। मैंने `मुंगेरीलाल के हसीन सपने' के पहले भी काफी कुछ किया पर मुंगेरीलाल लोगों को याद रह गया। किसी को हॅंसाना वो भी सभ्य तरीके से थो़ड़ा मुश्किल तो है।
- आजकल की फिल्मों में `एक्सपोजर' रहा है, आप क्या कहेंगे?
फिल्म हमेशा वे ही चलती हैं जो अच्छी हों। एक्सपोज कराने और अधिक पैसा लगा देने से कोई भी िफल्म चलती नहीं। एक्सपोज के लिए जनता फिल्म नहीं देखती। जब तक फिल्म अच्छी नहीं होती है हिट नहीं होती। फिल्म बनाने वाले खुद ही एक्सपोज करना चाहते हैं और दोष्ा ऑडिएंस को देते हैं।
- आजकल क्या कर रहे हैं?
-कुछ दिन पहले आजा नाच ले" फ़िल्म की है। अब एक और फिल्म `आसमां कर रहा हूँ इस फिल्म में मेरा रोल एक राइटर का है जो मुफलिस टाइप का है। वक्त के मार से घायल है वह पर अंत में उसकी पहचान बनती है।
- अगर एक्टर नहीं होते तो क्या होते?
तब तो मैं सिर्फ रघुवीर होता। मेरी कोई पहचान नहीं होती और मैं यहीं कहीं फैक्ट्री में काम कर रहा होता।
शहरवासियों के लिए कोई संदेश?
- लोगों को मेहनत से आगे ब़ढ़ना चाहिए। कुछ नहीं करने से अच्छा है कुछ करें और `रिस्क' लेने में पीछे नहीं रहना चाहिए। यहां की मिट्टी में ब़ड़ी ताकत है। लोग हमेशा मंजिल बनाते हैं लेकिन यह ठीक नहीं। लोगों को हमेशा रास्ते बनाना चाहिए ताकि उस पर दूसरे लोग भी चल सकें। याद रखना चाहिए कि जीवन की सार्थकता कुछ अलग करने म ें है। एक खास बात यह भी कि ईश्वर देता सब कुछ है बस `पिक' करना आना चाहिए।
14 टिप्पणियां:
रघुवीर यादव से मिल कर बहुत खुशी हुई। वे मेरे पसंदीदा अभिनेताओं में से एक हैं जिन्हों ने किरदारों को निभाने में अपनी समूची प्रतिभा और श्रम का उपयोग किया है। उन्हे मेंरे सौ-सौ सलाम!
अगर इस मिलन की एक तस्वीर चस्पा दी होती तो मजा दोगुना हो जाता मैसी साब से मिलने का।
vivek ji aapki baat sahi hai. photo maine dhundhi par mili nahi. main apni aalmari adjut karungi to niklegi. usi samay daal dungi.
mere pasandeeda abhinetaa रघुवीर यादव से मिल कर बहुत खुशी हुई ................. achhe लगी unse apki batcheet
बहुत सुंदर लगी यह जान पहचान
ये बढ़िया रहा. उनसे तो मुलाकात हुए एक अरसा बीता. एक मंझा हुआ कलाकार और बेहतरीन इन्सान!!
बेमिसाल कलाकार ....अदितीय इंसान ..जिसे उसकी प्रतिभा के मुताबिक सम्मान नहीं मिला ...सबसे अच्छी बात उनकी आवाज में एक नशा है ...गीतों में
shukriya ek acche abhineta se batchit ko yaha hamse saajha karne k liye
shukriya ek acche abhineta se batchit ko yaha hamse saajha karne k liye
शैली
बेहतीन अदाकार और इंसान हैं रघुवीर जी अन्नू कपूर सबसे पहले उनकी अदाकारी पर फ़िदा हुए थे . जबलपुर के लोग उनकी हंसी उडाते थे किन्तु जब वे रज़त मयूर लेकर आए तो उन हँसाने वालों के चेहरों की हवाइयां उड़ते देखि है मैंने. मुझे वो पल याद हैं जब मैंने उनका एवार्ड अपने हाथों से छुआ फिर रघुवीर को देखा भावुक हो गया था और भी तब जब शुद्ध ग्रामीण सी दिखने वाली माँ से वे पूरे बचपने के साथ लिपटे थे ..... मेरी क्या हरेक की आँखें नम थीं .
सच अब तो फिल्मों को जो अवार्ड दिए जा रहे हैं उनका स्टार बेहद गिरा हुआ सा लगता है मेरे मैसी को जो मिला वो वाकई कला साधना का सम्मान ही था
आपने फिर जो याद तारो ताज़ा करें उसके लिए आभार
anand aa gaya !
शुक्रिया इस साक्षात्कार के लिए ।
बहुत अच्छे।
---
चर्चा । Discuss INDIA
एक बेहतरीन कलाकार से रूबरू करने का शुक्रिया
एक टिप्पणी भेजें