शुक्रवार, 15 जनवरी 2010

श् श्श्.... बिना बोले नहाना है!





आज सूर्यग्रहण है यह तो सबको मालूम है पर कम ही लोगों को मालूम होगा कि आज मौनी अमावश्या भी है। मौनी अमावश्या
मतलब स्नान ध्यान का ऐसा त्योहार जिसमें स्नान के बाद ही कुछ बोलते हैं। बचपन में जब घर पर रहा करती थी तो रात को ही मम्मी याद दिला देती थीं कल मौनी अमावश्या है बिना कुछ बोले ही नहाना है। सुबह उठाते समय भी बार बार कहती- चुप रहना जब तक नहाओगी नहीं बोलना नहीं है। बेटा, कुछ मत बोलना चलो पहले नहा लो।
और अक्सर हम हिदायत भूल जाते। जनवरी की कड़कड़ाती सर्दी में सुबह - सुबह उठना और नहाना बड़ा मुश्किल लगता। हम सुबह उठ तो जाते पर हमेंशा ही बिना बोले नहाने का प्रण टूट जाता। कभी उठाने पर बोल पड़ते थोड़ा और सोना है। कभी नहाते समय चिल्लाते पानी ज्यादा गर्म है। कभी ठंड- ठंड ही बोल पड़ते। कभी हम भाई - बहनों की आपस में ही झड़प हो जाती। बिना बोले क्यों नहाते हैं पूछने पर कभी संतोष जनक उत्तर नहीं मिला। बस इतना ही जान सके कि सुबह जितनी जल्दी हो सके नहाना चाहिए। स्नान के बाद तिल तापना होता है(आग में तिल डालकर उसके धुएं की सेंक लेना।), हम ब्राह्मणों के लिए सीधा छूते(दान की वस्तु छूकर संकल्प लेते), िफर तिल खाकर ही कुछ बोलने की परंपरा होती। जब भी हम कुनमुनाते दादी कहती ,टीवी खोल कर देखो कितने लोगों ने सुबह चार बजे से ही गंगा स्नान कर लिया है। एक हमारे घर के बच्चे ही सोते रहे।
स्नान करने के बाद की प्रतिबद्धता तो उब भी है पर हम बिना बोले नहाना सीख गए हैं। वैसे आज में ऐसा नहीं कर पाई क्योंकि हमारे जीवन में मोबाइल का अनाधिकर प्रवेश हो चुका है। उठकर सबसे पहले किसी से बात ही करनी पड़ी।

5 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

बिन बोले नहाना... बहुत अच्छी लगी आज की आप की यह पोस्ट

बवाल ने कहा…

कितनी वाजिब बात, कितना साधारण सच और कितनी मासूमियत से प्रस्तुत किया आपने शैली। वाह वाह।
बहुत ही अच्छी पोस्ट।

Udan Tashtari ने कहा…

रात में मोबाईल स्विच ऑफ कर देना अगली मौनी अमावस्या को.. :)

Himanshu Pandey ने कहा…

हम तो गंगा जी की धारा में ही बोल पड़े !
चुप नहीं रह पाते, क्या करें ।

संजय तिवारी ने कहा…

aaj amavasayaa he moon rahanaa chaheye