मंगलवार, 5 जनवरी 2010

पक्षी को बुलाना है



पक्षियों के लिए दाना- पानी रखने की बात अब कई लोग करने लगे हैं। बहुत सारे लोग गर्मी में कम से कम पानी तो रखते ही हैं। मेरे घर में दादी रोज सुबह ही छत पर चावल बिखेर आती थीं। हमारे उठने से पहले ही चिड़ियां आकर दाने चुग जाती थीं। अब जब से पत्रकारिता लाइन में आई हूं तब तो दो बजे के पहले सोना नहीं होता है। जाहिर से सुबह उठती भी हूं नौ के बाद ही। सो यहां जबलपुर में पक्षियों को चारा डालने की परंपरा नहीं आ सकी। एक दिन सोचा ऐसा करती हूं, रात को ही दाना डाल देती हूं, सुबह पक्षी आकर खा लेंगें। मैंने किया भी वहीं। पर आश्चर्य सुबह दाने ज्यों के त्याें पड़े थे। एक - एक की सात दिन हो गए पर दाना वैसे ही पड़ा रहा। तब मुझे समझ में आया यहां जबलपुर जैसे छोटे जगह से भी चिड़ियां रूठ चुकीं हैं। तब महानगरों की क्या स्थिति होगी? वहां के बच्चों ने तो कभी अपने आंगन में या बालकनी में, आजू- बाजू कहीं भी चिड़ियां देखा ही नहीं होगा। सुबह उनका चहचहाना भी नहीं सुना होगा। उसके बाद कई बार दाना रखा पर एक भी चिड़ियां नहीं बुला सकी। जाने कहां होगी, घर और आवास की जगह छिनने के बाद कितनी ही चिड़ियों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। क्या उनको बचाने का कोई उपाय आप सबको दिखता है तो मुझे बताइयेगा। मैं चिड़ियों को वापस बुलाना चाहती हूं। नई पीढ़ी को उनकी तान सुनाना चाहती हूं।

7 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

आवास नही होगा तो पक्षी कहाँ से आयेंगे.

Kamlesh Sharma ने कहा…

आप दाने के साथ पानी रखा करें। वैसे शहरों में पानी की तलाश में पक्षी भटकते है। यदि पानी के साथ दाना देखेंगे तो वे जरूर आकर्षित होंगे। दाना तथा पानी पेड़ पौधों के आसपास रखा करें। खुली छत पर उचित नहीं। आजमाएं, मैने इसे आजमाया है और सफल भी हुआ हूँ। हमने तो एक अभियान चलाते हुए गर्मियों में शहरभर में पांच सौ परिण्‍डे वितरित करवाते हुए लगवाए थे। शायद पक्षियों को पसंद आए होंगे। वैसे छोटे गांवों में पांच रूपये में एक परिण्‍डा आसानी से मिल जाता है। आप भी प्रयास करें कि आगामी गर्मियों में परिण्‍डे बांधने का अभियान चलावें, इससे जनजागरूकता आएगी और पक्षी भी अवश्‍य आएंगे।
शुभकामनाएं
ब्‍लॉग पर आकर अच्‍छा लगा आप इस प्रकार से पक्षियों के बारे में चिंतन करती है।

अजय कुमार झा ने कहा…

कमलेश जी की सलाह पर गौर फ़रमाएं सफ़लता जरूर मिलेगी । पक्षियों के प्रति आपका स्नेह देख कर मन को सुकून मिला

राज भाटिय़ा ने कहा…

कमलेश जी की बात से सहमत हुं

Himanshu Pandey ने कहा…

आपकी भावना की कद्र करता हूँ !
आँगन में दाना चुगती चिड़िया मन को खुश करती है और साथ ही आश्वस्त करती है समाज व समय को कि हम समरस हैं, संवेदनशील हैं एक दूसरे के लिये - हम निर्भीक भी हैं !

shelley ने कहा…

कमलेश जी
आपकी सलाह सही है. उपयोग करुँगी

KULDEEP SINGH ने कहा…

apaki rachna achi lagi.