अभी मैंने योगेन्द्र सिंह राठौर की कविता पढ़ी । बिल्कुल अलग उपमान हैं इसमे और बिम्ब भी नया , इसलिए आपसब के लिए प्रस्तुत है-
इश्क,
एक सिगरेट के पैकेट की तरह,
चेतावनी ऊपर लिखी हुई,
फिर भी प्रोफेसर से लेकर,
वैज्ञानिक तक पीते हैं,
और प्रेमिका,
उंंगलियों में फंंसी जलती सिगरेट,
जिसे अन्त तक जलना है,
आप कश भले ही न ले,
ले लेंगें तो उसका जेलना,
अस्तित्व का मिटना,
अपना वजूद खोना,
सब सार्थक हो जाएगा,
डॉक्टरों के मना करने के बावजूद भी,
डॉक्टरों के मना करने के बावजूद भी,
सिगरेट मैं नहीं छोड पा रहा हंूं,
मेरा दोस्त, बीबी, डॉक्टरेट,
सिगरेट ,
मैं स्वंय,
सब कुछ जल रहा है,
तो/किसीको/कुछ तो,
सुकूल/चैन सा मिल रहा है ।
11 टिप्पणियां:
बहुत ही सुंदर बत कही आप ने , लेकिन हमे बहुत कथनाई होती है जब कोई हमारे आसपास सिगरेट पीता है.
धन्यवाद
वाह....गज़ब की कल्पना है..इश्क भी जैसे कोई जलती हुयी सिगरेट
आपकी ब्लॉग पर चित्र भी सुन्दर हैं
चेतावनी ऊपर लिखी हुई,
फिर भी प्रोफेसर से लेकर,
वैज्ञानिक तक पीते हैं,
और प्रेमिका,
उंंगलियों में फंंसी जलती सिगरेट,
जिसे अन्त तक जलना है,
आप कश भले ही न ले,
ले लेंगें तो उसका जेलना,गज़ब की कल्पना है
बहुत सटीक और सही बात..
पहले तो मै आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हू कि आपको मेरी शायरी पसन्द आयी और पैन्टिग भी!
आप ने मेरी तारीफ़ की उसके लिये बहुत बहुत शुक्रिया !मै पैन्टिग करती हू इसलिए शायरी लिखने के साथ अपनी बनायी हुई पैन्टिग लगाती हू!
आप का ब्लोग मुझे बहुत अच्छा लगा और आपने बहुत ही सुन्दर लिखा है !
बिलकुलअलग, कविता और चित्र दोनों।
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waah chitra samet kavita kaa aanad...apne aap me mazaa deta he..
ishq .. jalne kaa hi to naam he..
really good work... nice poem.
bahut sundar kavita..
ek sujhaav hai--background white hai to fonts dark rakheeye..padhne mein asaani hogi.
yahan aap ne halke peeley rang ke fonts use kiye hain.jo rheek se padhey nahin jaatey..:)
एक सुन्दर रचना के लिए योगेन्द्र सिंह राठौर के साथ आओ को भी बधाई.
- विजय
मैं स्वंय,
सब कुछ जल रहा है,
तो/किसीको/कुछ तो,
सुकूल/चैन सा मिल रहा है ।
wonderful blog with great pics...
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